11। श्री ईसा जी ईसाइयों के पैगंबर यीशु का रंग बहुत गोरा था। दाढ़ी के बाल थे। जब यीशु को फाँसी दी गई, तो उसके प्राण ऊपर उठे। जीसस ने हठयोग सीखा था। कोई नहीं जान सका। कार दी गई। तीन दिन के बाद जब तीन हठी जोगी वहां निकले तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा, आपस में विचार किया, वे जीवित हैं, उन्हें निकाल देना चाहिए। फिर तीनों मिलकर पर्वत को हटाने लगे। तब यीशु को बाहर निकाला गया, और झाड़ा झाड़ा और नहलाया गया। कुछ लोगों को पता चला, आया, जलपान कराया। फिर ईसा कश्मीर आए। कुछ देर रहने के बाद शरीर त्याग दिया। सफेद तहमद बंधा हुआ था। नीचे लंगोट थी। जब हमारी हालत 39 के आसपास रही होगी। तब यह गोकुल भवन में ध्यान में हमारे पास आया। इस पोस्ट को सुनाया, जो हमारे साथ हुआ था - सुबह लिखा गया था। हमने बताया था कि हमने हिंदी की दो किताबें (कक्षा) पढ़ी हैं। तो हिंदी में कहा- शेर :- जीसस मेरा नाम है, मैं ईश्वर का पुत्र हूं। मैं आपसे मिलने आया हूं, उस स्थान पर जाने के लिए जहां 21 गुरुओं ने आपको बताया था, इस शब्द की पादक ||3|| सुरती लगाकर ताड़का वहां पहुंची।